गणतंत्र दिवस परेड
हिंदी कविता Hindi Kavita गणतंत्र दिवस परेड Republic Day Paradeराजभवन से चला काफ़िला,
जनप्रतिनिधियों को लेकर,
चला वहाँ जहाँ जलती है,
अजर अमर नित्य एक ज्वाला,
जहाँ जीवंत हो उठती है,
वीरों की अगणित गाथा |
शीश झुकाकर किया नमन,
याद किया कुर्बानियों को,
माताओं के बलिदानों को,
यतीमों के रुदानों को,
रणबाँकुरे सेनानियों की स्मृति में,
झुक गया हर शीश हर माथा |
देखो फहराया गया तिरंगा,
गूँज उठा है राष्ट्रगान,
खड़े हुए हैं चहुँ ओर दर्शक,
देने तिरंगे को सम्मान,
गूँज उठी हैं 21 तोपें,
जैसे सिंह वन में गर्जाता |
हुआ शूरवीरों का सम्मान,
कईयों का जीते-जी कुछ का मरणोपरांत,
पर जीवित रहता है इनसे ही,
हम देशवासियों का अभिमान,
जीवित रहेंगे ये वीर भी तब तक,
जब तक इनकी वीरगाथा जन-जन है सुनाता |
देखो देखो सेना आई,
सैन्यशक्ति पथ पर दर्शायी,
थल-जल-वायु का यह मेला,
जन-जन का वक्ष गर्व से सुजाता,
पर चार चाँद लगाने इस दल को,
देखो ऊंटों का दस्ता आता |
सजी झांकियां सजे बहु जन हैं,
हुआ इनपर व्यय बहु धन है,
फिर भी लूटा इनने सबका मन है,
शोभायमान इन झांकियों से,
राजपथ पर बस इक दिन,
संपूर्ण भारतवर्ष है छा जाता |
देखो वीर बालक आए,
गजराज पथ पर हैं छाए,
कुछ साहसी मानवों ने,
मोटर-साइकिल पर करतब दिखाए,
गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर पर,
गौरवान्वित होती भारतमाता ||
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