सुहागरात
हिंदी कविता Hindi Kavita सुहागरात Suhagraatकजरारे नयनों वाली,
होठों पर गहरी लाली,
माथे पर सिन्दूरी टीका,
कानों में पहने बाली ।
शर्मीले नयनों वाली,
अधरों पर संकुचित वाणी,
श्वास में भय का डेरा,
मन सोचे क्या होगा तेरा,
कर में है दूध का प्याला,
थम-थम कर बढ़ने वाली ।
प्यासे नयनों वाली,
लब पर गहराई लाली,
प्याला अब ख़ाली पड़ा है,
तकिया भी नीचे गिरा है,
श्वासों में तेज़ी बड़ी है,
पिया से मिलन की घड़ी है,
पिया के साथ की खातिर,
धन-मन-तन लुटाने वाली ।।
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