अक्टूबर 06, 2020

सुबह सूरज फिर आएगा

हिंदी कविता Hindi Kavita सुबह सूरज फिर आएगा Subah Sooraj phir aayega

जब-जब जीवन के सागर में,


ऊँचा उठता तूफाँ होगा,


जब-जब चौके की गागर में,


पानी की जगह धुँआ होगा,


जब बढ़ते क़दमों के पथ पर,


काँटों का जाल बिछा होगा,


जब तेरे तन की चादर से,


तन ढकना मुमकिन ना होगा |



तब तू गम से ना रुक जाना,


ना सकुचाना, ना घबराना,


आता तूफाँ थम जाएगा,


पग तेरे रोक ना पायेगा,


कर श्रम ऐसा तेरे आगे,


पर्वत भी शीश झुकाएगा,


हंस के जी ले कठिनाई को,


सुबह सूरज फिर आएगा ||

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