नवंबर 17, 2020

मैंने एक ख्वाब देखा

हिंदी कविता Hindi Kavita मैंने एक ख्वाब देखा Maine ek khwaab dekha

माता की गोद जैसे,


मखमल के नर्म बिस्तर पर,


संगिनी की बांहों में,


निद्रा की गहराइयों में,


मैंने एक ख्वाब देखा |



नीले आज़ाद गगन में,


हल्की बहती पवन में,


पिंजरे को छोड़,


बेड़ी को तोड़,


उड़ता जाऊं क्षितिज की ओर |



श्वेत उजाड़ गिरी से,


ऊबड़-खाबड़ भूमि से,


ध्येय को तलाश,


राह को तराश,


बहता जाऊं सागर की ओर |



मिथ्या मलिन जगत से,


जीवन-मरण गरल से,


निद्रा से जाग,


व्यसनों को त्याग,


बढ़ता जाऊं मंज़िल की ओर ||

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

राम आए हैं