मार्च 21, 2021

नुक्कड़

हिंदी कविता Hindi Kavita नुक्कड़ Nukkad

गली के नुक्कड़ पर रोज़,


उनके रूबरू आता हूँ |


फासले इतने हैं मगर ,


कुछ भी कह ना पाता हूँ ||

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राम आए हैं