लोकतंत्र का उत्सव
हिंदी कविता Hindi Kavita लोकतंत्र का उत्सव Loktantra ka Utsavफ़िर निकले हैं दल-बल लेकर,
चोर-उचक्के और डकैत,
चाहते हैं मायावी कुर्सी,
पाँच साल फ़िर करेंगें ऐश |
मत अपना बहुमूल्य है समझो,
मत करना इन पर बर्बाद,
जाँच-परख कर नेता चुनना,
सुने जो सबकी फ़रियाद ||
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें