मई 02, 2023

भूरे पत्ते

हिंदी कविता Hindi Kavita भूरे पत्ते Bhoore patte

डाली से टूटकर,


जीवन से छूटकर,


अंतिम क्षणों में सूखे पत्ते ने सोचा –


मैंने क्या खोया ? क्या पाया ?


अहम को क्यों था अपनाया ?


भूरा होकर अब जाता हूँ,


भूरा ही तो मैं था आया !!!

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राम आए हैं