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दिसंबर 30, 2022

यादों में 2022

हिंदी कविता Hindi Kavita यादों में 2022 Yaadon mein 2022


अमर जवान ज्योति का,


बदल गया मुकाम था,


माता के दरबार में भी,


भगदड़ और कोहराम था |



खूब चला फिर बुलडोज़र,


पंजाब आप के नाम था,


विद्या के मंदिर में भी,


हिजाब पर संग्राम था |



सिरसा से उड़ी एक मिसाइल,


पड़ोसी मुल्क अनजान था,


कश्मीर के आतंक का,


फाइल्स में दर्ज वृत्तांत था |



सिरफिरे ने छेड़ा एक युद्ध,


यूक्रेन में त्राहिमाम था,


अँग्रेज़ों की कश्ती का अब,


ऋषि नया कप्तान था |



काशी में मिला था शिवलिंग,


मस्ज़िद पर सवाल था,


टीवी की बहस का फ़ल,


कन्हैया का इंतकाल था |



लॉन बाल्स में आया सोना,


अग्निवीर परेशान था,


स्वर कोकिला के गमन से,


हर कोई हैरान था |



पश्चिम में बदली सरकार,


धनुष-कमल फ़िर संग थे,


पूरव में दल-बदलू के फ़िर,


बदले-बदले रंग थे |



सबसे बड़े प्रजातंत्र की,


अध्यक्षा फ़िर नारी हुईं,


ग्रैंड ओल्ड पार्टी का प्रमुख,


ना सुत ना महतारी हुई |



दक्षिण से निकला था पप्पू,


भारत को जोड़ने चला,


चुनावी राज्यों से लेकिन,


पृथक निकला काफिला |



भारत में लौटे फ़िर चीते,


5G का आगाज़ हुआ,


मोरबी का ढहा सेतु,


श्रद्धा का दुखद अंजाम हुआ |



प्रगतिपथ पर अग्रसर भारत,


जी20 का प्रधान बना,


विस्तारवादी ताकतों को,


रोकने में सक्षम सदा |



पलक झपकते बीता यह वर्ष,


तेईस आने वाला है,


आशा करता हूँ ये गम नहीं,


खुशियाँ लाने वाला है ||

फ़रवरी 13, 2021

पप्पू, तेरे बस की कहाँ !!

हिंदी कविता Hindi Kavita पप्पू, तेरे बस की कहाँ Pappu tere bas ki kahan

ना मैं भक्त हूँ, ना ही आंदोलनजीवी, ना ही किसी और गुट का सदस्य । मेरी मंशा किसी की भावनाओं को ठेस पहुँचाने की नहीं है । बस कुनबापरस्ती पर एक व्यंग है । पढ़ें और आनन्द लें । ज़्यादा ना सोचें ।



अचकन पर गुलाब सजाना,


बच्चों का चाचा कहलाना,


सहयोगियों संग मिलजुल कर,


तिनकों से इक राष्ट्र बनाना,


पप्पू, तेरे बस की कहाँ !!



वैरी को धूल चटाना,


दुर्गा सदृश कहलाना,


अभूतपूर्व पराजय से उबरकर,


फिर एक बार सरकार बनाना,


पप्पू, तेरे बस की कहाँ !!



युवावस्था में पद संभालना,


उत्तरदायित्व से ना सकुचाना,


बाघों से सीधे टकराना,


डिज़िटाइज़ेशन की नींव रख जाना,


पप्पू, तेरे बस की कहाँ !!



मन की आवाज़ सुन पाना,


सर्वोच्च पद को ठुकराना,


तूफानी समंदर की लहरों में,


डूबती कश्ती को चलाना,


पप्पू, तेरे बस की कहाँ !!



कड़े-कठोर निर्णय ले पाना,


पर-सिद्धि को अपना बताना,


शत्रु की मांद में घुसकर,


शत्रु का संहार कराना,


पप्पू, तेरे बस की कहाँ !!



जनमानस का नेता बन जाना,


भविष्य का विकल्प कहलाना,


लिखा हुआ भाषण दोहराना,


अरे आलू से सोना बनाना,


पप्पू, तेरे बस की कहाँ !!

राम आए हैं