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फ़रवरी 23, 2023
वो पहला पहला प्यार
फिर आजीवन इंतज़ार ||
जनवरी 01, 2023
2023 का स्वागत
नूतन रवि उदित हुआ है,
समस्त तमस मिटाने को,
हठ से कदम बढ़ाने को,
मंज़िल तक बढ़ते जाने को ||
जुलाई 31, 2022
भारतीय खिलाड़ियों को CWG 2022 के लिए शुभकामनाएं
राष्ट्रमंडल खेलों में पुनः परचम लहराएगा,
काँसे का चाँदी का, सोने का तमगा आएगा ||
जुलाई 16, 2022
सत्य क्या है ?
सत्य क्या है ?
सुख की अनुभूति,
या दुःख का अनुभव,
अंधियारी रात,
या मधुरम कलरव,
सपनों की दुनिया,
या व्याकुल वास्तव,
जीवंत शरीर,
या निर्जीव शव ||
मार्च 05, 2022
शेन वार्न को श्रद्धांजलि
आज स्वर्ग में एक क्रिकेट मैच का आयोजन हो रहा है | हमारे सारे पूर्वज दर्शक दीर्घा में बैठे हैं | नर्क से सभी दिवंगत नेताओं को भी आमंत्रित किया गया है | और मैदान में खेलने के लिए उतरे हैं क्रिकेट जगत के दो दिग्गज जिनके स्वागत में मैं चंद शब्द कहूँगा –
स्वर्ग में भी आज, क्या गज़ब माहौल होगा,
बैटिंग करेंगे ब्रैडमैन, बॉलर वार्न होगा ||
जनवरी 23, 2022
जब डर, मर जाता है
हर बाधा मिट जाती है,
राह से रोड़ा हट जाता है,
दृष्टि स्पष्ट हो जाती है,
गंतव्य भी दिख जाता है,
जब डर, मर जाता है |
मतिभ्रम मिट जाता है,
मन को सुकून आता है,
खुद पर यकीन आता है,
नत सर भी उठ जाता है,
जब डर, मर जाता है |
निर्बल बली हो जाता है,
जो चाहे वो कर जाता है,
गम भी सारे मिट जाते हैं,
जीवन में रंग भर आता है,
जब डर, मर जाता है ||
दिसंबर 27, 2021
पहला प्यार
वो पहला-पहला प्यार,
वो छुप-छुप के दीदार,
वो मन ही मन इकरार,
वो कहने के विचार,
वो सकुचाना हर बार,
फिर आजीवन इंतज़ार ||
सितंबर 25, 2021
वो सुबह कभी तो आएगी
जब पैरों में बेड़ी नहीं,
कंधों पर खुलते पर होंगे,
जब किस्मत में पिंजरा नहीं,
खुला नीला गगन होगा,
जब बंदिश का बंधन नहीं,
अविरल धारा सा मन होगा,
जब जागते नयनों में भी,
सच होता हर स्वपन होगा ||
सितंबर 12, 2021
काश! तितली बन जाऊँ !
नन्हे-नन्हे पर हों मेरे,
फूलों पर मैं मंडराऊँ,
रंगों का पर्याय बनूँ मैं,
कीट कभी ना कहलाऊँ,
सोचा करता हूँ अक्सर मैं,
काश! तितली बन जाऊँ !
जनम भले ही जैसा भी हो,
गाथा अपनी खुद लिख पाऊँ,
पिंजरे को तोड़ मैं इक दिन,
पंख फैला कर उड़ जाऊँ,
सोचा करता हूँ अक्सर मैं,
काश! तितली बन जाऊँ !
अंधड़ में बहकर भी मैं बस,
सुंदरता ही फैलाऊँ,
दो क्षण ही अस्तित्व अगर हो,
जीवनभर बस मुस्काऊँ,
सोचा करता हूँ अक्सर मैं,
काश! तितली बन जाऊँ !!
अगस्त 22, 2021
बदलाव की आहट
हवाओं का रुख कुछ बदला-बदला सा है,
अमावस का चाँद भी उजला-उजला सा है,
संगमरमर की चट्टानों ने भी आज भरी है साँस,
दुनिया बनाने वाले का मिज़ाज कुछ बदला-बदला सा है ||
जुलाई 20, 2021
पिंजरे का पंछी
मैं बरखा की बूँदों सा बादलों में रहता हूँ,
पवन के झोकों में मैं मेघों की भांति बहता हूँ,
डैनों को अपने फैलाए नभ पर मैं विचरता हूँ,
मैं पिंजरे का पंछी नहीं आसमान की चिड़िया हूँ |
मैं जब जी चाहे सोता हूँ जब जी चाहे उठता हूँ,
घोंसले को संयम से तिनका-तिनका संजोता हूँ,
धन की ख़ातिर ना सुन्दर लम्हों की ख़ातिर जीता हूँ,
मैं पिंजरे का पंछी नहीं आसमान की चिड़िया हूँ |
पैरों में मेरे बेड़ी है पंखों पर कतरन के निशान,
जीवन में मेरे बाकी बस – बंदिश लाचारी और
अपमान,
पिंजरे में कैद बेबस मैं सपना एकल बुनता हूँ,
मैं पिंजरे का पंछी नहीं आसमान की चिड़िया हूँ ||
मई 01, 2021
गंतव्यपथ
बढ़ते-बढ़ते जब खुद को तुम,
भटका हुआ पाओगे,
अंधियारे में मंज़िल की,
राहों से खो जाओगे,
हालातों से हारकर जब तुम,
बस रुकना चाहोगे |
हिम्मत को अपनी बाँध बस तुम,
आगे बढ़ते जाना,
लक्ष्य की सिद्धी से पहले,
खुद-ब-खुद मत रुक जाना,
क्या मालूम दो पग आगे ही,
लिखा हो मंज़िल पाना ||
अप्रैल 20, 2021
हारेंगे नहीं हम
मन में संकल्प ठान कर,
काटों को रस्ता मान कर,
बढ़ते जायेंगे हम,
हारेंगे नहीं हम |
इक पग को पीछे रखकर,
दो पग आगे सरककर,
भागेंगे तेज़ हम,
हारेंगे नहीं हम |
हमराही से बिछड़कर,
अपनों से चाहे लड़कर,
भले अकेले हम,
हारेंगे नहीं हम |
सच का हाथ पकड़कर,
दुश्मन के हाथों मरकर,
फिर-फिर जीयेंगे हम,
हारेंगे नहीं हम |
रस्ते में थोड़ा थककर,
ठोकर खाकर और गिरकर,
फिरसे उठेंगे हम,
हारेंगे नहीं हम |
मंज़िल को अपना बनाकर,
राह के काँटों को मिटाकर,
इक दिन जीतेंगे हम,
तब तक,
हारेंगे नहीं हम ||
फ़रवरी 04, 2021
कोरोना वैक्सीन
क्षितिज पर छाई है लाली,
लाई सुबह का संदेसा,
घर से बाहर फिर निकलेंगे,
खाने चाट और समौसा,
तब तक लेकिन रखना होगा,
परस्पर दूरी पर ही भरोसा ||
दिसंबर 13, 2020
काश मैं पंछी होता
काश मैं पंछी होता,
सुबह-सवेरे नित दिन उठता,
अन्न-फ़ल-दाना-कण चुगता,
खुले गगन में स्वच्छंद फिरता,
दरख्तों की टहनियों पर विचरता,
तिनकों से अपना घर बुनता,
हरी हरी आँचल में बसता |
काश मैं पंछी होता,
सरहद की न बंदिश होती,
आपस में न रंजिश होती,
व्यर्थ की चिंता ना करता,
कंचन के पीछे ना पड़ता,
भूत का ना बोझ ढोता,
कल के कष्टों से कल लड़ता |
काश मैं पंछी होता,
प्रकृति का मैं अंग होता,
उसके नियमों संग होता,
वृक्षों पर जीवन बसाता,
जीवों की हानि ना करता,
पृथ्वी को पावन मैं रखता,
निष्कलंक निष्पाप मैं रहता ||
नवंबर 17, 2020
मैंने एक ख्वाब देखा
माता की गोद जैसे,
मखमल के नर्म बिस्तर पर,
संगिनी की बांहों में,
निद्रा की गहराइयों में,
मैंने एक ख्वाब देखा |
नीले आज़ाद गगन में,
हल्की बहती पवन में,
पिंजरे को छोड़,
बेड़ी को तोड़,
उड़ता जाऊं क्षितिज की ओर |
श्वेत उजाड़ गिरी से,
ऊबड़-खाबड़ भूमि से,
ध्येय को तलाश,
राह को तराश,
बहता जाऊं सागर की ओर |
मिथ्या मलिन जगत से,
जीवन-मरण गरल से,
निद्रा से जाग,
व्यसनों को त्याग,
बढ़ता जाऊं मंज़िल की ओर ||
नवंबर 06, 2020
मेरे पास समय नहीं है
वो गर्मी की छुट्टियों में मेरा,
नाना-नानी के घर पर जाना,
वो मामा का अपार गुस्सा,
मामी संग जम कर बतियाना,
वो चाचा की शादी पर मेरा,
घोड़ी चढ़कर घबराना,
वो चाची की गोदी में मेरा,
सोने की ज़िद पर अड़ जाना |
बुआ का प्यार माँसी का दुलार,
भाई-बहन खेल-तकरार,
संगी-साथी बचपन के यार,
छोटे-बड़े सब नाते-रिश्तेदार,
याद सब है बस,
मिलने का, बतियाने का,
रूठने का, मनाने का,
मेरे पास समय नहीं है ||
वो कॉलेज की दीवार फाँद,
छुप-छुप के सिनेमाघर जाना,
वो लेक्चर बंक करके,
कैंटीन में गप्पें लड़ाना,
वो जन्मदिन के नाम पर,
बेचारे दोस्त के पैसे लुटाना,
वो अंतिम दिन इक-दूजे से,
फिर-फिर मिलने के वादे सुनाना |
पुराने दोस्त, करीबी यार,
जीवन का पहला-पहला प्यार,
खुशी के पल, गम के हालात,
हँसी-ठिठोले, पहली मुलाकात,
याद सब है बस,
मौज का, मस्ती का,
अल्हड़ मटरगश्ती का,
मेरे पास समय नहीं है ||
वो पहली किरण पर मेरा,
खुले मैदान में दौड़ लगाना,
वो साँझ के समय में,
रैकेट उठाकर खेलने जाना,
वो जागती आँखों से मेरा,
भविष्य के सपने सजाना,
वो दिन-दिनभर मोबाइल पर,
निरंतर वीडियो चलाना |
खेल-कूद गेंद और गिटार,
खुद कुछ कर दिखाने के विचार,
अधूरे ख़्वाब, दिल की चाह,
मन को भाति वो जीवनराह,
याद सब है बस,
सुख का, चैन का,
अपने लिए जीने का,
मेरे पास समय नहीं है ||
अक्टूबर 21, 2020
कुछ अधूरी ख्वाहिशें
वो चेहरा एक सलोना सा,
जो ख़्वाबों में, विचारों में,
अक्सर ज़ाहिर हो जाता है |
जिसको चाहा है उम्रभर,
उसकी यादों के भंवर में,
मन मेरा बस खो जाता है ||
वो शौक एक अनूठा सा,
जिसमें बीता हर इक पल,
मेरे तन-मन को भाता है |
रोज़ी-रोटी के फेर में,
बरबस बीते यह ज़िंदगी,
वक्त थोड़ा मिल ना पाता है ||
वो दामन एक न्यारा सा,
जो बचपन की हर कठिनाई,
का अक्षुण्ण हल कहलाता है |
बेवक्त छूटा था वह साथ,
कह ना पाया था मैं जो बात,
कहने को दिल ललचाता है ||
वो स्वप्न एक प्यारा सा,
जो मन की गहराइयों में,
स्थाई स्थान बनाता है |
भरसक प्रयत्न करके भी,
वह सपना यथार्थ में,
परिवर्तित हो ना पाता है |
वो शोक एक भारी सा,
रह-रहकर चित्त की देह को,
पश्चाताप की टीस चुभोता है |
पृथ्वी की चाल, बहती पवन,
शब्दों के बाण, बीता कल,
पलटना किसको आता है ??
वो भाग्य एक कठोर सा,
कर्मठ मानव के कर्म का,
फल देने से कतराता है |
अपेक्षाओं के ख़ुमार में,
माया के अद्भुत खेल में,
मूर्छित मानव मुस्काता है ||
जुलाई 15, 2020
नई शुरुआत
ठहर गई थी जो कलम,
रुक गई थी जो दास्तान,
थम गया था मन का प्रवाह,
बंद थी विचारों की दुकान |
लौटी जीवन-शक्ति अब फ़िर,
लेकर नई उमंग, जोश इस बार,
निकलेगा विचारों का काफ़िला,
शब्दों में फिर इक बार ||
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