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जुलाई 17, 2020
जुलाई 15, 2020
नई शुरुआत
ठहर गई थी जो कलम,
रुक गई थी जो दास्तान,
थम गया था मन का प्रवाह,
बंद थी विचारों की दुकान |
लौटी जीवन-शक्ति अब फ़िर,
लेकर नई उमंग, जोश इस बार,
निकलेगा विचारों का काफ़िला,
शब्दों में फिर इक बार ||
फ़रवरी 27, 2020
अकेला
दुनिया के इस रंगमंच पे,
तू अकेला अदाकार है,
ना तेरा कोई साथी,
ना तेरा कोई विकल्प है |
गम अगर हो कोई तुझे,
तो कोई ना उसको बांटेगा,
खुश अगर तू हो गया,
तो गम मौका ताकेगा |
मौका मिलते ही फिरसे,
खुशी तेरी गायब होगी,
गम लौट के आएगा,
दुखी तेरी फितरत होगी ||
मदद किसी की करदे तो,
भलामानस कहलायेगा,
मदद किसी से मांगेगा,
सिर्फ दुत्कार ही पायेगा |
पीठ पीछे बातें होंगी,
खिल्ली तेरी खूब उड़ेगी,
कल तक जो अपने लगते थे,
दूरी उनसे खूब बढ़ेगी ||
सही-गलत में क्या भेद है,
दुनिया इसको भूल चुकी है,
अपना जिसमें लाभ हो,
बाकी गलत सिर्फ़ वही सही है |
सच्चाई का साथ अगर दे,
तो झूठा कहलायेगा,
दुनिया तुझपे थूकेगी,
कुंठित मन हो जाएगा ||
छोड़ दे दूजे की परवाह,
छोड़ दे खुशियों की चाहत,
छोड़ दे सच्चाई का साथ,
सुन ए बंदे पते की बात |
कोई न तेरा अपना है,
कोई न तुझको अपनाएगा,
इस झूठी दुनिया में,
तू,
अकेला आया था,
अकेला ही जाएगा ||
फ़रवरी 17, 2020
कौन हो तुम?
तेरी मुस्कान से है मेरी खुशी,
तेरे आँसुओं से मेरे गम,
तेरी हँसी के लिए मैं दे दूँ जां,
तेरे क्रोध से निकले मेरा दम |
कौन हो तुम?
तू शीतल वायु का झोंखा है,
तू टिप-टिप बूंदों की तरंग,
तू भोर की पहली किरण है,
तू इन्द्रधनुष के सातों रंग |
कौन हो तुम?
तू हिरणी सी चपल है,
तू मत्स्य सी नयनों वाली,
तेरी वाणी भी मधुरम है,
जैसे बसंत की वसुंधरा पे,
कोयल कूके हर डाली |
कौन हो तुम?
तू मेरी अन्नपूर्णा,
तू मेरे घर की लक्ष्मी,
तेरा क्रोध काली जैसा,
तू अम्बे तारने वाली |
कौन हो तुम?
मेरे जीवन का सार,
मेरे जीवन की परिभाषा,
तू मेरी अभिलाषा है,
मेरे जीने की अकेली आशा ||
फ़रवरी 12, 2020
खुशी क्या है?
खुशी क्या है?
एक भावना, एक जज़्बात |
सूर्य की किरणों में,
चाँद की शीतलता में,
चिड़ियों की चहचहाट में,
सावन की बरसात में |
किसीकी मुस्कान में छुपी,
किन्ही आँखों में बसी,
कहीं होठों पे खिली,
कभी फूलों से मिली |
मेहनत में कामयाबी में,
गुलामी से आज़ादी में,
हार के बाद जीत में,
जीवन की हर रीत में |
कभी मीठी-मीठी बातों में,
कहीं छुप-छुप के मुलाकातों में,
कभी यारों की बारातों में,
कभी संगी संग रातों में |
पर मेरी खुशी?
तेरा साथ निभाने में,
तेरा हाथ बंटाने में,
बच्चे को खिलाने में,
कभी-कभी गुदगुदाने में,
मेरा जितना भी वक्त है,
तुम दोनों संग बिताने में ||
फ़रवरी 08, 2020
सुहागरात
कजरारे नयनों वाली,
होठों पर गहरी लाली,
माथे पर सिन्दूरी टीका,
कानों में पहने बाली ।
शर्मीले नयनों वाली,
अधरों पर संकुचित वाणी,
श्वास में भय का डेरा,
मन सोचे क्या होगा तेरा,
कर में है दूध का प्याला,
थम-थम कर बढ़ने वाली ।
प्यासे नयनों वाली,
लब पर गहराई लाली,
प्याला अब ख़ाली पड़ा है,
तकिया भी नीचे गिरा है,
श्वासों में तेज़ी बड़ी है,
पिया से मिलन की घड़ी है,
पिया के साथ की खातिर,
धन-मन-तन लुटाने वाली ।।
फ़रवरी 03, 2020
भोर
निशा की अंतिम वेला है,
जगमग-जगमग टिमटिम तारे,
चंद्र लुप्त है, लोप है जीवन,
सुप्त हैं स्वप्नशय्या पर सारे |
सुर्ख रवि की महिमा देखो,
उषा का है हुआ आगमन,
चढ़ते सूर्य की ऊष्मा से,
तिमिर का अब होगा गमन |
पहली किरण के साथ ही,
गूँजे चहुँ ओर मुर्गे की बांग,
कोयल कूके मयूर नाचे,
गिलहरियाँ मारे टहनियों पर छलांग |
गूँज उठे हैं मंदिर में शंख,
पढ़ी जाने मस्ज़िदों में अज़ान,
बजने लगी गिरजाघर की घंटियां,
गुरूद्वारे में गुरुबाणी का गान |
दिनचर निकले स्वप्नलोक से,
निशाचर स्वप्न में समाए,
जीवन जाग्रत होता जगत में,
जब तम पर प्रकाश फ़तेह पाए |
पशु पक्षी सब जीव मनुष्य,
प्रकृति के सारे वरदान,
शीश झुकाकर करें नमन सब,
नभ पर दिनकर शोभायमान ||
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