Mann Ke Bhaav offers a vast collection of Hindi Kavitayen. Read Kavita on Nature, sports, motivation, and more. Our हिंदी कविताएं, Poem, and Shayari are available online!
नवंबर 23, 2020
नवंबर 17, 2020
मैंने एक ख्वाब देखा
माता की गोद जैसे,
मखमल के नर्म बिस्तर पर,
संगिनी की बांहों में,
निद्रा की गहराइयों में,
मैंने एक ख्वाब देखा |
नीले आज़ाद गगन में,
हल्की बहती पवन में,
पिंजरे को छोड़,
बेड़ी को तोड़,
उड़ता जाऊं क्षितिज की ओर |
श्वेत उजाड़ गिरी से,
ऊबड़-खाबड़ भूमि से,
ध्येय को तलाश,
राह को तराश,
बहता जाऊं सागर की ओर |
मिथ्या मलिन जगत से,
जीवन-मरण गरल से,
निद्रा से जाग,
व्यसनों को त्याग,
बढ़ता जाऊं मंज़िल की ओर ||
नवंबर 14, 2020
शुभ दीवाली
घर-आँगन-छत-जीना-गोदाम,
स्वच्छता के छूना नए आयाम,
नए रंग में रंगा पुराना मकान,
सजे रंगोली कंदील मिष्ठान,
दीपों की सुसज्जित माला,
खील-बताशे नया पहनावा,
अभिनंदन व शुभ संवाद,
बुज़ुर्गों का शुभ आशीर्वाद,
श्यामिल रात्रि प्रकाशित भयी,
सपरिवार सबके साथ ||
नवंबर 12, 2020
धनतेरस
रोग-दुःख-पीड़ा-संताप,
कष्ट सब मिट जाएँ |
पर्व यह सबके जीवन में,
सुख-समृद्धि लाए ||
नवंबर 06, 2020
मेरे पास समय नहीं है
वो गर्मी की छुट्टियों में मेरा,
नाना-नानी के घर पर जाना,
वो मामा का अपार गुस्सा,
मामी संग जम कर बतियाना,
वो चाचा की शादी पर मेरा,
घोड़ी चढ़कर घबराना,
वो चाची की गोदी में मेरा,
सोने की ज़िद पर अड़ जाना |
बुआ का प्यार माँसी का दुलार,
भाई-बहन खेल-तकरार,
संगी-साथी बचपन के यार,
छोटे-बड़े सब नाते-रिश्तेदार,
याद सब है बस,
मिलने का, बतियाने का,
रूठने का, मनाने का,
मेरे पास समय नहीं है ||
वो कॉलेज की दीवार फाँद,
छुप-छुप के सिनेमाघर जाना,
वो लेक्चर बंक करके,
कैंटीन में गप्पें लड़ाना,
वो जन्मदिन के नाम पर,
बेचारे दोस्त के पैसे लुटाना,
वो अंतिम दिन इक-दूजे से,
फिर-फिर मिलने के वादे सुनाना |
पुराने दोस्त, करीबी यार,
जीवन का पहला-पहला प्यार,
खुशी के पल, गम के हालात,
हँसी-ठिठोले, पहली मुलाकात,
याद सब है बस,
मौज का, मस्ती का,
अल्हड़ मटरगश्ती का,
मेरे पास समय नहीं है ||
वो पहली किरण पर मेरा,
खुले मैदान में दौड़ लगाना,
वो साँझ के समय में,
रैकेट उठाकर खेलने जाना,
वो जागती आँखों से मेरा,
भविष्य के सपने सजाना,
वो दिन-दिनभर मोबाइल पर,
निरंतर वीडियो चलाना |
खेल-कूद गेंद और गिटार,
खुद कुछ कर दिखाने के विचार,
अधूरे ख़्वाब, दिल की चाह,
मन को भाति वो जीवनराह,
याद सब है बस,
सुख का, चैन का,
अपने लिए जीने का,
मेरे पास समय नहीं है ||
नवंबर 04, 2020
करवाचौथ
माथे पर गुलाबी रेखा,
तन पर लहंगा है लाल,
मन में अपने पिया की,
लम्बी आयु का ख्याल |
अपने कठोर तप के फ़ल में,
जन्म-जन्मांतर का बंधन माँग,
व्याकुल है अपने चाँद संग,
करने को दीदार-ए-चाँद ||
अक्टूबर 21, 2020
कुछ अधूरी ख्वाहिशें
वो चेहरा एक सलोना सा,
जो ख़्वाबों में, विचारों में,
अक्सर ज़ाहिर हो जाता है |
जिसको चाहा है उम्रभर,
उसकी यादों के भंवर में,
मन मेरा बस खो जाता है ||
वो शौक एक अनूठा सा,
जिसमें बीता हर इक पल,
मेरे तन-मन को भाता है |
रोज़ी-रोटी के फेर में,
बरबस बीते यह ज़िंदगी,
वक्त थोड़ा मिल ना पाता है ||
वो दामन एक न्यारा सा,
जो बचपन की हर कठिनाई,
का अक्षुण्ण हल कहलाता है |
बेवक्त छूटा था वह साथ,
कह ना पाया था मैं जो बात,
कहने को दिल ललचाता है ||
वो स्वप्न एक प्यारा सा,
जो मन की गहराइयों में,
स्थाई स्थान बनाता है |
भरसक प्रयत्न करके भी,
वह सपना यथार्थ में,
परिवर्तित हो ना पाता है |
वो शोक एक भारी सा,
रह-रहकर चित्त की देह को,
पश्चाताप की टीस चुभोता है |
पृथ्वी की चाल, बहती पवन,
शब्दों के बाण, बीता कल,
पलटना किसको आता है ??
वो भाग्य एक कठोर सा,
कर्मठ मानव के कर्म का,
फल देने से कतराता है |
अपेक्षाओं के ख़ुमार में,
माया के अद्भुत खेल में,
मूर्छित मानव मुस्काता है ||
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