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फ़रवरी 11, 2022
फ़रवरी 06, 2022
स्वर कोकिला सुश्री लता मंगेशकर जी को श्रद्धांजलि
संगीत की लताओं पर सुरों का फ़ूल था खिला,
गूँजती मधुर ध्वनि में इक सुरीली कोकिला,
काल की कठोरता से फ़ूल धूल हो चला,
ज़िंदा है सुरों में अब भी वो स्वर कोकिला ||
जनवरी 26, 2022
गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं
भारत एक गणतंत्र है - जनता का तंत्र | भारत की जनता अपना घर हो या देश, दोनों को चलाने में सक्षम है | बाहरी सहायता की आवश्यकता नहीं है |
चाहे उत्सव हो, उल्लास हो,
या संकट का आभास हो,
चाहे दो-चार ही जन हों,
या सवा सौ करोड़ श्वास हो,
मंज़र जैसा भी हो चाहे,
हम जी लेंगे, हम कर लेंगे,
भारत पर जो आँख उठाए,
हम स्वत: ही निपट लेंगे,
हम सक्षम हैं ||
जनवरी 23, 2022
जब डर, मर जाता है
हर बाधा मिट जाती है,
राह से रोड़ा हट जाता है,
दृष्टि स्पष्ट हो जाती है,
गंतव्य भी दिख जाता है,
जब डर, मर जाता है |
मतिभ्रम मिट जाता है,
मन को सुकून आता है,
खुद पर यकीन आता है,
नत सर भी उठ जाता है,
जब डर, मर जाता है |
निर्बल बली हो जाता है,
जो चाहे वो कर जाता है,
गम भी सारे मिट जाते हैं,
जीवन में रंग भर आता है,
जब डर, मर जाता है ||
जनवरी 09, 2022
लोकतंत्र का उत्सव
फ़िर निकले हैं दल-बल लेकर,
चोर-उचक्के और डकैत,
चाहते हैं मायावी कुर्सी,
पाँच साल फ़िर करेंगें ऐश |
मत अपना बहुमूल्य है समझो,
मत करना इन पर बर्बाद,
जाँच-परख कर नेता चुनना,
सुने जो सबकी फ़रियाद ||
दिसंबर 31, 2021
उफ़ ! यह कैसा साल था ?
ट्रैक्टर पर निकली थी रैली,
गणतंत्र पर सवाल था,
लाल किले पर झंडा लेकर,
आतताईयों का बवाल था,
उफ़ ! यह कैसा साल था ?
घर में बंद था पूरा घराना,
परदा ही बस ढाल था,
खौफ की बहती थी वायु,
गंगा का रंग भी लाल था,
उफ़ ! यह कैसा साल था ?
उखड़ रही थी अगणित साँसें,
कोना-कोना अस्पताल था,
शंभू ने किया था ताण्डव,
दर-दर पर काल था,
उफ़ ! यह कैसा साल था ?
क्षितिज पर छाई फ़िर लाली,
टीका बेमिसाल था,
माँग और आपूर्ति के बीच,
गड्ढा बड़ा विशाल था,
उफ़ ! यह कैसा साल था ?
ओलिंपिक में चला था सिक्का,
पैरालिंपिक तो कमाल था,
वर्षों बाद मिला था सोना,
सच था या ख्याल था ?
उफ़ ! यह कैसा साल था ?
टूटा था वो एक सितारा,
मायानगरी की जो शान था,
बादशाह की किस्मत में भी,
कोरट का जंजाल था,
उफ़ ! यह कैसा साल था ?
फीकी पड़ रही थी चाय,
मोटा भाई बेहाल था,
सत्ता के गलियारों में भी,
कृषकों का भौकाल था,
उफ़ ! यह कैसा साल था ?
सुलूर से चला था काफिला,
वेलिंगटन में इस्तकबाल था,
रावत जी की किस्मत में पर,
हाय ! लिखा इंतकाल था,
उफ़ ! यह कैसा साल था ?
काशी का बदला था स्वरूप,
मथुरा भविष्यकाल था,
आम आदमी का लेकिन,
फ़िर भी वही हाल था,
उफ़ ! यह कैसा साल था ?
चुनावों का बजा था डंका,
गरमागरम माहौल था,
बापू को भी गाली दे गया,
संत था या घड़ियाल था,
उफ़ ! यह कैसा साल था ?
स्कूटर पर आता-जाता,
दिखने में कंगाल था,
पर उसके घर में असल में,
200 करोड़ का माल था,
उफ़ ! यह कैसा साल था ?
थोड़ा-थोड़ा हर्ष था इसमें,
थोड़ा सा मलाल था,
थोड़े गम थे थोड़ी खुशियाँ,
जो भी था, भूतकाल था,
जैसा भी यह साल था ||
दिसंबर 27, 2021
पहला प्यार
वो पहला-पहला प्यार,
वो छुप-छुप के दीदार,
वो मन ही मन इकरार,
वो कहने के विचार,
वो सकुचाना हर बार,
फिर आजीवन इंतज़ार ||
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