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मार्च 05, 2022
शेन वार्न को श्रद्धांजलि
मार्च 01, 2022
महाशिवरात्रि की शुभकामनाएं
आज महाशिवरात्रि पर मेरी भोले बाबा से प्रार्थना है के यूरोप में चल रहे संग्राम पर विराम लगे और विश्व में शांति बहाल हो |
सत्य की जीत हो, असत्य की हार हो,
शिव से ही प्रारंभ है, शिव ही से विनाश हो,
भोले के ही चरणों में झुका संसार हो,
दुष्टों का अंत हो, अमन का आगाज़ हो ||
फ़रवरी 20, 2022
सरहद
हवा के झोकों में लहराती फसलों के बीच में,
अपनी मेहनत के पसीने से धरती को सींच के,
सूरज की तपती किरणों से आँखों को भींच के,
बचपन के अपने यार को उसके खेत से आते देखा |
कंधे पर उसके झोला था माथे पर मेहनत के निशान,
कपड़ों पर उसके मिट्टी थी मेरे ही कपड़ों के समान,
मेरी दिशा में अपनी बूढ़ी गर्दन को मोड़ के,
मेरी छवि को देख उसके चेहरे को मुरझाते देखा |
मैं पेड़ों के ऊपर चढ़ता वो नीचे फ़ल पकड़ता था,
मास्टर की मोटी बेंत से मेरे जितना वो डरता था,
जाने कितनी ही रातों को टूटे-फूटे से खाट पर,
बचपन में असंख्य तारों को हमने झपकते देखा |
वो नहरों में नहाना संग में बैठ कर खाना,
इक-दूजे के घर में सारा-सारा दिन बिताना,
छोटी-छोटी सी बातों पर कभी-कभी लड़ जाना,
बचपन की मीठी यादों को नज़रों में मंडराते देखा |
बस यादों में ही संग हैं, दूरी हममें अब हरदम है,
चंद क़दमों का है फ़ासला पर मिलना अब ना संभव है,
अपनी खेतों की सीमा से सटे लोहे के स्तंभ पर,
क्षितिज तक सरहद के बाड़े को हमने जाते देखा ||
फ़रवरी 14, 2022
खिल रहे हैं फूल
खिल रहे हों फूल जैसे इक उजड़ी सी बगिया में,
बरस पड़ा हो प्रताप जैसे इक सूखी सी नदिया पे,
टपक रहीं हों बूँदें जैसे शुष्क दरकती वसुधा पे,
पड़ रही हो छाया जैसे एक थके मुसाफिर पे,
अनुभव ऐसा होता मुझको तेरी बाँहों के घेरे में ||
फ़रवरी 11, 2022
पढ़ाई करो, लड़ाई नहीं
शिक्षण संस्थानों में धार्मिक महिमा-मंडन का कोई स्थान नहीं होना चाहिए | पढ़ाई करो, लड़ाई नहीं |
दो सालों से वैसे भी,
शिक्षा पर लगी है लगाम,
धरम को थोड़ा बगल में रखो,
ज्ञान के छुओ नए आयाम ||
फ़रवरी 06, 2022
स्वर कोकिला सुश्री लता मंगेशकर जी को श्रद्धांजलि
संगीत की लताओं पर सुरों का फ़ूल था खिला,
गूँजती मधुर ध्वनि में इक सुरीली कोकिला,
काल की कठोरता से फ़ूल धूल हो चला,
ज़िंदा है सुरों में अब भी वो स्वर कोकिला ||
जनवरी 26, 2022
गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं
भारत एक गणतंत्र है - जनता का तंत्र | भारत की जनता अपना घर हो या देश, दोनों को चलाने में सक्षम है | बाहरी सहायता की आवश्यकता नहीं है |
चाहे उत्सव हो, उल्लास हो,
या संकट का आभास हो,
चाहे दो-चार ही जन हों,
या सवा सौ करोड़ श्वास हो,
मंज़र जैसा भी हो चाहे,
हम जी लेंगे, हम कर लेंगे,
भारत पर जो आँख उठाए,
हम स्वत: ही निपट लेंगे,
हम सक्षम हैं ||
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