Mann Ke Bhaav offers a vast collection of Hindi Kavitayen. Read Kavita on Nature, sports, motivation, and more. Our हिंदी कविताएं, Poem, and Shayari are available online!
जून 21, 2022
जून 19, 2022
ये साली ज़िंदगी !
अथाह अगाध सागर जैसी,
है ये साली ज़िंदगी !
पहला जनम दूजा तट मृत्यु,
यात्रा भारी ज़िंदगी !
ज़िन्दों का उपहास करती,
है ये साली ज़िंदगी !
कष्टों के लवण से परिपूर्ण,
जलधि खारी ज़िंदगी !
बूँदों में सुख को टपकाती,
है ये साली ज़िंदगी !
निकट पहुँचते ही उड़ जाती,
बूँदें, सारी ज़िंदगी !
जून 10, 2022
कुहासा
कोहरे की मोटी चादर में,
दुबका-सिमटा सारा परिवेश,
ना गोचर है मार्ग-मंज़िल,
बस तृष्णा ही बाकी है शेष |
भरता हूँ डग अटकल करते,
पथ पर कंटक-कंकड़ या घास ?
मन में है भटकाव का भय,
और धुंध के छँटने की आस |
भाग्य रवि फ़िर दमकेगा,
ओझल फ़िर होगा कुहासा,
तब तक बढ़ता धीरे-धीरे,
जीवनपथ पर मैं तन्हा सा ||
जून 04, 2022
मध्यमवर्गीय परिवार
मध्यमवर्गीय परिवार,
कूलर एक व्यक्ति चार,
दो कमरे का घरबार,
दाल रोटी और अचार,
कष्टों की है भरमार,
करते ना कभी इज़हार,
जुगाड़ में हैं बड़े होशियार,
सीमित साधन एवं विचार,
पड़ोसियों से है व्यवहार,
कानाफूसी और चटकार,
दो पहियों पर संसार,
छुट्टी बीते सपरिवार,
चाहते हैं छोटी सी कार,
धन के आगे हैं लाचार,
आँखों में सपने हज़ार,
पूरा करना बजट के बाहर,
सहते हैं महँगाई की मार,
सुनती ना इनकी सरकार,
सेल का रहता इंतज़ार,
मोल-भाव करते हर बार,
राशन की लम्बी कतार,
मुफ़्त धनिया है अधिकार,
संभाल के रखते हैं अखबार,
बाद में बिकता बन भंगार,
मेहनत का हैं भण्डार,
किस्मत की रहती दरकार,
पुरखों का करते सत्कार,
बच्चों में है शिष्टाचार,
समझौते जीवन का सार,
इच्छापूर्ति है दुष्वार,
परिवार में परस्पर प्यार,
छोटी-छोटी खुशियाँ अपार ||
मई 28, 2022
गर्मी का Lockdown
सड़कें सारी कोरी हैं, घर में भी तुम झुलसाते हो,
दिन तक तो ठीक है, रातों को भी गरमाते हो,
कोरोना अब कम है, फ़िर भी Lockdown लगवाते हो,
सूरज दादा बोलो तुम, सर्दी में क्यों नहीं आते हो ??
मई 24, 2022
शतरंज की बिसात पर
शतरंज की बिसात पर,
कपट की चाल है चली,
ज़रा ठहर, ज़रा संभल,
सम्मुख तेरे है छली,
फुफकारता भुजंग सा,
बैरी बड़ा महाबली,
साहस जुटा तू रह निडर,
असि उठा तू वार कर,
खुदा का हाथ थाम चल,
सन्मार्ग पर तू रह अटल,
शतरंज की बिसात पर,
शिकस्त की चाल है चली ||
मई 17, 2022
बाबा फ़िर आएंगें
जिनका ना कोई आदि है, ना ही कोई अंत है, ऐसे शाश्वत शिव का कोई क्या बिगाड़ सकता है |
डमरू व त्रिशूलधारी,
महाकाल त्रिपुरारी,
भक्तों का उद्धार करने,
नंदी का एकांत हरने,
बाबा फ़िर आएंगें |||
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