Mann Ke Bhaav offers a vast collection of Hindi Kavitayen. Read Kavita on Nature, sports, motivation, and more. Our हिंदी कविताएं, Poem, and Shayari are available online!
फ़रवरी 01, 2023
जनवरी 30, 2023
चाँद और रजनी की प्रेम कहानी
चाँद ने रजनी से कहा –
मैं उजला श्वेत सलोना सा,
तू काली स्याह कुरूपनी,
मैं प्रेम का रूपक हूँ,
तू अँधियारे की दासिनी,
अपनी कौमुदी को मैं तुझ,
तमस्विनी पर क्यों बरसाऊं?
मैं भोर के प्रेम में रत हूँ,
निशा को क्यों मैं अपनाऊं?
रजनी ने चंदा से कहा –
तू दिनकर की आभा से प्रोत,
दंभ से क्यों इतराता है?
तू बदलाव का रूपक है,
प्रभात को तू ना भाता है,
ऊषा को भास्कर का वर है,
मैं श्रापित तन्हा कलंकिनी,
अपनी कांति मुझपर बरसा,
मैं तेरे प्यार की प्यासिनी ||
जनवरी 24, 2023
चौपाल का बरगद
दादा मेरे कहते थे –
जब गाँव में सड़कें ना थीं,
ना पानी था ना बिजली थी,
तब भी गुमसुम इन राहों पर,
गाँव के बीच चौपाल पर,
एक अतिविशाल बरगद था |
बरगद की शीतल छाया में,
पंचायत बैठा करती थी,
गाँव समाया करता था,
बच्चे भी खेला करते थे,
सावन में झूले सजते थे,
हलचल का केंद्र वो बरगद था |
बरगद की असंख्य भुजाओं पर,
कोयलें कूका करती थीं,
गिलहरियाँ फुदकतीं थीं,
मुसाफ़िर छाया पाते थे,
दिन में वहीं सुस्ताते थे,
जटाओं भरा वो बरगद था |
गाँव में अब मैं रहता हूँ,
लकड़ी लेकर मैं चलता हूँ,
गुमसुम सी उन्हीं राहों पर,
गाँव के बीच चौपाल पर,
पोते को अपने कहता हूँ –
देखो यह वो ही बरगद है ||
जनवरी 01, 2023
2023 का स्वागत
नूतन रवि उदित हुआ है,
समस्त तमस मिटाने को,
हठ से कदम बढ़ाने को,
मंज़िल तक बढ़ते जाने को ||
दिसंबर 30, 2022
यादों में 2022
अमर जवान ज्योति का,
बदल गया मुकाम था,
माता के दरबार में भी,
भगदड़ और कोहराम था |
खूब चला फिर बुलडोज़र,
पंजाब आप के नाम था,
विद्या के मंदिर में भी,
हिजाब पर संग्राम था |
सिरसा से उड़ी एक मिसाइल,
पड़ोसी मुल्क अनजान था,
कश्मीर के आतंक का,
फाइल्स में दर्ज वृत्तांत था |
सिरफिरे ने छेड़ा एक युद्ध,
यूक्रेन में त्राहिमाम था,
अँग्रेज़ों की कश्ती का अब,
ऋषि नया कप्तान था |
काशी में मिला था शिवलिंग,
मस्ज़िद पर सवाल था,
टीवी की बहस का फ़ल,
कन्हैया का इंतकाल था |
लॉन बाल्स में आया सोना,
अग्निवीर परेशान था,
स्वर कोकिला के गमन से,
हर कोई हैरान था |
पश्चिम में बदली सरकार,
धनुष-कमल फ़िर संग थे,
पूरव में दल-बदलू के फ़िर,
बदले-बदले रंग थे |
सबसे बड़े प्रजातंत्र की,
अध्यक्षा फ़िर नारी हुईं,
ग्रैंड ओल्ड पार्टी का प्रमुख,
ना सुत ना महतारी हुई |
दक्षिण से निकला था पप्पू,
भारत को जोड़ने चला,
चुनावी राज्यों से लेकिन,
पृथक निकला काफिला |
भारत में लौटे फ़िर चीते,
5G का आगाज़ हुआ,
मोरबी का ढहा सेतु,
श्रद्धा का दुखद अंजाम हुआ |
प्रगतिपथ पर अग्रसर भारत,
जी20 का प्रधान बना,
विस्तारवादी ताकतों को,
रोकने में सक्षम सदा |
पलक झपकते बीता यह वर्ष,
तेईस आने वाला है,
आशा करता हूँ ये गम नहीं,
खुशियाँ लाने वाला है ||
दिसंबर 09, 2022
धारा का पेड़
एक बार मैंने देखा
बरसाती नदी के बहाव में
एक पेड़ खड़ा था,
जैसे कुरुक्षेत्र की भूमि पर
अपने नातेदारों से
अभिमन्यु लड़ा था |
विपरीत परिस्तिथियों से
धारा के प्रचंड प्रवाह से
किंचित न डरा था,
घोंसले में बैठे चंद
पंछियों को बारिश से
वो अकेला आसरा था |
विपत्तियों की बाढ़ में
टूट कर बिखरा नहीं
अपितु अधिक हरा था,
अगले साल मैंने देखा
सावन के महीने में फ़िर
वो पेड़, वहीं खड़ा था ||
नवंबर 26, 2022
कुछ तो कहते हैं ये पत्ते
बरखा की बूंदों सरीख,
बयार में जब ये बहते,
कल डाली से बंधे थे,
आज कूड़े के ढेर में रहते |
पतझड़ की हवाओं में,
बसंत का एहसास बनते,
कोंपल रूप में फिर आयेंगे,
नवारम्भ की गाथा कहते ||
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