Mann Ke Bhaav offers a vast collection of Hindi Kavitayen. Read Kavita on Nature, sports, motivation, and more. Our हिंदी कविताएं, Poem, and Shayari are available online!
जुलाई 30, 2020
जुलाई 26, 2020
कारगिल
जल-मरु-गिरी पृथ्वी-आकाश,
कहीं से आए शत्रु चालाक,
भारत के वीरों के आगे,
सफल न होंगे इरादे ना-पाक ||
जुलाई 19, 2020
कलम
कोरे-कोरे कागज़ पर,
छोड़कर काले-नीले निशान,
करता जीवंत, फूँकता जान,
नित-नव-नाना दास्तान |
कभी उगलता सुन्दर आखर,
कभी चित्र मनोरम बनता,
कभी रचता घृणा की गाथा,
कभी करता स्नेह का बखान |
कहीं कमीज़ की जेब में अटका,
कहीं बढ़ई के कान पे लटका,
कभी पतलून की जेब में पटका,
कभी पर्स में भीड़ में भटका |
कभी लिखावट मोती जैसी,
कभी चींटी के पदचिन्हों जैसी,
कभी आढ़ी-तिरछी लकीरें खींचे,
नन्हे कर-कमलों को सींचे |
कभी भरे दवाई का पर्चा,
कभी लिखे परचून का खर्चा,
कभी खींचे इमारत का नक्शा,
कभी नेकनामी पर करे सम्मान |
किसी के दाएं कर में शोभित,
किसी के बाएं कर में शोभित,
गर करविहीन स्वामी हो प्रेरित,
सकुचाता नहीं गाता सबका गान ||
जुलाई 17, 2020
वर्षाऋतु
रिमझिम-रिमझिम टिप-टिप-टिप-टिप,
नभ से उतरे जीवन-अमृत,
घुमड़-घुमड़ उमड़-घुमड़ तड़-तड़,
श्यामिल घटा गरजे बढ़चढ़,
शुष्क धरा की मिटी पिपासा,
हरी ओढ़नी रूप नया सा,
पंख फैलाए, नाच दिखाए,
बागों में मोर इठलाए,
सावन के झूले लहराएं,
नभ के पार ये जाना चाहें,
सतरंगी पौढ़ी से उतरकर,
वैकुण्ठ खुद थल पर आए ||
जुलाई 15, 2020
नई शुरुआत
ठहर गई थी जो कलम,
रुक गई थी जो दास्तान,
थम गया था मन का प्रवाह,
बंद थी विचारों की दुकान |
लौटी जीवन-शक्ति अब फ़िर,
लेकर नई उमंग, जोश इस बार,
निकलेगा विचारों का काफ़िला,
शब्दों में फिर इक बार ||
फ़रवरी 27, 2020
अकेला
दुनिया के इस रंगमंच पे,
तू अकेला अदाकार है,
ना तेरा कोई साथी,
ना तेरा कोई विकल्प है |
गम अगर हो कोई तुझे,
तो कोई ना उसको बांटेगा,
खुश अगर तू हो गया,
तो गम मौका ताकेगा |
मौका मिलते ही फिरसे,
खुशी तेरी गायब होगी,
गम लौट के आएगा,
दुखी तेरी फितरत होगी ||
मदद किसी की करदे तो,
भलामानस कहलायेगा,
मदद किसी से मांगेगा,
सिर्फ दुत्कार ही पायेगा |
पीठ पीछे बातें होंगी,
खिल्ली तेरी खूब उड़ेगी,
कल तक जो अपने लगते थे,
दूरी उनसे खूब बढ़ेगी ||
सही-गलत में क्या भेद है,
दुनिया इसको भूल चुकी है,
अपना जिसमें लाभ हो,
बाकी गलत सिर्फ़ वही सही है |
सच्चाई का साथ अगर दे,
तो झूठा कहलायेगा,
दुनिया तुझपे थूकेगी,
कुंठित मन हो जाएगा ||
छोड़ दे दूजे की परवाह,
छोड़ दे खुशियों की चाहत,
छोड़ दे सच्चाई का साथ,
सुन ए बंदे पते की बात |
कोई न तेरा अपना है,
कोई न तुझको अपनाएगा,
इस झूठी दुनिया में,
तू,
अकेला आया था,
अकेला ही जाएगा ||
फ़रवरी 17, 2020
कौन हो तुम?
तेरी मुस्कान से है मेरी खुशी,
तेरे आँसुओं से मेरे गम,
तेरी हँसी के लिए मैं दे दूँ जां,
तेरे क्रोध से निकले मेरा दम |
कौन हो तुम?
तू शीतल वायु का झोंखा है,
तू टिप-टिप बूंदों की तरंग,
तू भोर की पहली किरण है,
तू इन्द्रधनुष के सातों रंग |
कौन हो तुम?
तू हिरणी सी चपल है,
तू मत्स्य सी नयनों वाली,
तेरी वाणी भी मधुरम है,
जैसे बसंत की वसुंधरा पे,
कोयल कूके हर डाली |
कौन हो तुम?
तू मेरी अन्नपूर्णा,
तू मेरे घर की लक्ष्मी,
तेरा क्रोध काली जैसा,
तू अम्बे तारने वाली |
कौन हो तुम?
मेरे जीवन का सार,
मेरे जीवन की परिभाषा,
तू मेरी अभिलाषा है,
मेरे जीने की अकेली आशा ||
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