सितंबर 25, 2021

वो सुबह कभी तो आएगी

हिंदी कविता Hindi Kavita वो सुबह कभी तो आएगी Woh subah kabhi toh aayegi

जब पैरों में बेड़ी नहीं,


कंधों पर खुलते पर होंगे,


जब किस्मत में पिंजरा नहीं,


खुला नीला गगन होगा,


जब बंदिश का बंधन नहीं,


अविरल धारा सा मन होगा,


जब जागते नयनों में भी,


सच होता हर स्वपन होगा ||

सितंबर 14, 2021

हिंदी दिवस पर विशेष

हिंदी कविता Hindi Kavita हिंदी दिवस पर विशेष Hindi Diwas par Vishesh

संस्कृत की संतान है हिंदी,


संस्कृत सी महान है हिंदी,


भारत की पहचान है हिंदी,


भारत का अभिमान है हिंदी,


भूत का बखान है हिंदी,


भविष्य की उड़ान है हिंदी,


बूढ़ी नहीं जवान है हिंदी,


पीढ़ी का रुझान है हिंदी,


पुरखों का वरदान है हिंदी,


मेरा दिल मेरी जान है हिंदी ||

सितंबर 12, 2021

काश! तितली बन जाऊँ !

हिंदी कविता Hindi Kavita काश तितली बन जाऊँ Kaash Titli ban jaaun

नन्हे-नन्हे पर हों मेरे,


फूलों पर मैं मंडराऊँ,


रंगों का पर्याय बनूँ मैं,


कीट कभी ना कहलाऊँ,


सोचा करता हूँ अक्सर मैं,


काश! तितली बन जाऊँ !



जनम भले ही जैसा भी हो,


गाथा अपनी खुद लिख पाऊँ,


पिंजरे को तोड़ मैं इक दिन,


पंख फैला कर उड़ जाऊँ,


सोचा करता हूँ अक्सर मैं,


काश! तितली बन जाऊँ !



अंधड़ में बहकर भी मैं बस,


सुंदरता ही फैलाऊँ,


दो क्षण ही अस्तित्व अगर हो,


जीवनभर बस मुस्काऊँ,


सोचा करता हूँ अक्सर मैं,


काश! तितली बन जाऊँ !!

सितंबर 05, 2021

पैरालंपिक्स के वीर

हिंदी कविता Hindi Kavita पैरालंपिक्स के वीर Paralympics ke Veer

भारतीय पैरालंपिक वीरों को अभूतपूर्व प्रदर्शन पर ढेरों बधाई एवं शुभकामनाएं |



एक-आध तमगे नहीं, जीते पदक आदतन,

अविश्वसनीय अकल्पनीय अद्वितीय आरोहण ||

अगस्त 30, 2021

हे कृष्ण !

हिंदी कविता Hindi Kavita हे कृष्ण Hae Krishna

युद्धभूमि में शोकाकुल अपने पार्थ को तूने ज्ञान दिया,


विष से व्याकुल जमुना को तूने ही तो विष से पार किया,


दो मुठ्ठी चावल से अपने सखा का भी उद्धार किया,


छोटी सी उंगली पर तूने पर्वत को जैसे थाम लिया,


मेरे जीवन की कश्ती को ऊँची लहरों में थाम ले,


बनजा मेरा खेवैया, अपने चरणों में मुझको स्थान दे ||

अगस्त 22, 2021

बदलाव की आहट

हिंदी कविता Hindi Kavita बदलाव की आहट Badlaav ki Aahat

हवाओं का रुख कुछ बदला-बदला सा है,


अमावस का चाँद भी उजला-उजला सा है,


संगमरमर की चट्टानों ने भी आज भरी है साँस,


दुनिया बनाने वाले का मिज़ाज कुछ बदला-बदला सा है ||

अगस्त 14, 2021

मेरे अश्क

हिंदी कविता Hindi Kavita मेरे अश्क Mere Ashk

मैं बरखा में निकलता हूँ, मन का सुकून पाने को,


अपने अश्कों को बारिश की, बूँदों में छिपाने को ||

राम आए हैं