Mann Ke Bhaav offers a vast collection of Hindi Kavitayen. Read Kavita on Nature, sports, motivation, and more. Our हिंदी कविताएं, Poem, and Shayari are available online!
फ़रवरी 20, 2022
फ़रवरी 14, 2022
खिल रहे हैं फूल
खिल रहे हों फूल जैसे इक उजड़ी सी बगिया में,
बरस पड़ा हो प्रताप जैसे इक सूखी सी नदिया पे,
टपक रहीं हों बूँदें जैसे शुष्क दरकती वसुधा पे,
पड़ रही हो छाया जैसे एक थके मुसाफिर पे,
अनुभव ऐसा होता मुझको तेरी बाँहों के घेरे में ||
फ़रवरी 11, 2022
पढ़ाई करो, लड़ाई नहीं
शिक्षण संस्थानों में धार्मिक महिमा-मंडन का कोई स्थान नहीं होना चाहिए | पढ़ाई करो, लड़ाई नहीं |
दो सालों से वैसे भी,
शिक्षा पर लगी है लगाम,
धरम को थोड़ा बगल में रखो,
ज्ञान के छुओ नए आयाम ||
फ़रवरी 06, 2022
स्वर कोकिला सुश्री लता मंगेशकर जी को श्रद्धांजलि
संगीत की लताओं पर सुरों का फ़ूल था खिला,
गूँजती मधुर ध्वनि में इक सुरीली कोकिला,
काल की कठोरता से फ़ूल धूल हो चला,
ज़िंदा है सुरों में अब भी वो स्वर कोकिला ||
जनवरी 26, 2022
गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं
भारत एक गणतंत्र है - जनता का तंत्र | भारत की जनता अपना घर हो या देश, दोनों को चलाने में सक्षम है | बाहरी सहायता की आवश्यकता नहीं है |
चाहे उत्सव हो, उल्लास हो,
या संकट का आभास हो,
चाहे दो-चार ही जन हों,
या सवा सौ करोड़ श्वास हो,
मंज़र जैसा भी हो चाहे,
हम जी लेंगे, हम कर लेंगे,
भारत पर जो आँख उठाए,
हम स्वत: ही निपट लेंगे,
हम सक्षम हैं ||
जनवरी 23, 2022
जब डर, मर जाता है
हर बाधा मिट जाती है,
राह से रोड़ा हट जाता है,
दृष्टि स्पष्ट हो जाती है,
गंतव्य भी दिख जाता है,
जब डर, मर जाता है |
मतिभ्रम मिट जाता है,
मन को सुकून आता है,
खुद पर यकीन आता है,
नत सर भी उठ जाता है,
जब डर, मर जाता है |
निर्बल बली हो जाता है,
जो चाहे वो कर जाता है,
गम भी सारे मिट जाते हैं,
जीवन में रंग भर आता है,
जब डर, मर जाता है ||
जनवरी 09, 2022
लोकतंत्र का उत्सव
फ़िर निकले हैं दल-बल लेकर,
चोर-उचक्के और डकैत,
चाहते हैं मायावी कुर्सी,
पाँच साल फ़िर करेंगें ऐश |
मत अपना बहुमूल्य है समझो,
मत करना इन पर बर्बाद,
जाँच-परख कर नेता चुनना,
सुने जो सबकी फ़रियाद ||
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