नवंबर 26, 2022

कुछ तो कहते हैं ये पत्ते

हिंदी कविता Hindi Kavita कुछ तो कहते हैं ये पत्ते Kuch toh kehte hain yeh Patte


बरखा की बूंदों सरीख,


बयार में जब ये बहते,


कल डाली से बंधे थे,


आज कूड़े के ढेर में रहते |



पतझड़ की हवाओं में,


बसंत का एहसास बनते,


कोंपल रूप में फिर आयेंगे,


नवारम्भ की गाथा कहते ||


नवंबर 20, 2022

जीवनमंत्र

हिंदी कविता Hindi Kavita जीवनमंत्र Jeevanmantra

हँसते रहने की खातिर ही मैं यह जीवन जीता हूँ,



ज़िंदा रहने की खातिर ही थोड़ा-थोड़ा हँसता हूँ ||

नवंबर 14, 2022

जब हम छोटे बच्चे थे

हिंदी कविता Hindi Kavita जब हम छोटे बच्चे थे Jab hum chote bachche the

जब हम छोटे बच्चे थे,


मम्मी-मम्मी करते थे,


साईकल पर निकलते थे,


अक्सर झगड़ा करते थे,


थोड़ा-थोड़ा पढ़ते थे,


अधिक शरारत करते थे,


पापा से बड़ा डरते थे,


तितली पकड़ा करते थे,


बिन पंखों के उड़ते थे,


जब हम छोटे बच्चे थे ||


नवंबर 03, 2022

माँ

हिंदी कविता Hindi Kavita माँ की याद Maa ki Yaad

आज मेरी माँ को गए हुए 10 साल हो गए | उनको अर्पित एक छोटी सी श्रद्धांजलि |




बरसों हो गए आँचल में तेरे सर को छुपाए ओ माँ,


पलकों पर मुझको, रखा हमेशा, तुझ जैसा कोई कहाँ,


जाने कहाँ गुम हो गई अचानक, सूना बिन तेरे जहाँ, 


सपनों में अपने, ढूँढूं मैं तुझको, यादों में ज़िंदा तू माँ ||

अक्टूबर 24, 2022

बचपन वाली दीवाली

हिंदी कविता Hindi Kavita बचपन वाली दीवाली Bachpan wali Diwali


वो चढ़-चढ़कर घर से सारे जालों को मिटाना,


वो पंखों की, कोनों-कोनों की धूल को हटाना,


वो आँगन में नाना रंगों से रंगोली सजाना,


वो दीवारों-दरवाज़ों पर रंग-रोगन कराना,


बाज़ारों से धनतेरस पर नया बर्तन ले आना,


वो मिठाई वो बताशे वो खील वो खिलौना,


वो छत पर रंगीन बल्बों की लड़ियाँ लगाना,


वो मोमबत्ती और दीपों से पूरे घर को सजाना,


वो नए-नए कपड़ों में पूजा कर प्रसाद चढ़ाना,


वो पटाखों की थैली के संग बाहर भाग जाना,


वो फुलझड़ी वो अनार वो रॉकेट वो चरखरी,


वो आलू बम, वो फूँक बम, वो मुर्गे की लड़ी,


खुशियों से भरपूर थी बचपन की हर दीवाली,


आओ मनाएँ फ़िर से वो ही बचपन वाली दीवाली ||

अक्टूबर 11, 2022

जय महाकाल

हिंदी कविता Hindi Kavita जय महाकाल Jai Mahakal


हाथ में डमरू कंठ भुजंग, अर्धचंद्र बिराजे भाल,


जय शिव-शम्भू जय महेश, जय जय जय श्री महाकाल ||


अक्टूबर 05, 2022

आओ दशहरा मनाएं

हिंदी कविता Hindi Kavita आओ दशहरा मनाएं Aao Dussehra manaayen

कागज़ का पुतला जलाकर,


सदियों की प्रथा निभाकर,


उत्सव हमने मनाया |



भीतर का रावण जलाकर,


राम की सीखें अपनाकर,


आओ दशहरा मनाएं ||


राम आए हैं