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दिसंबर 30, 2022
दिसंबर 09, 2022
धारा का पेड़
एक बार मैंने देखा
बरसाती नदी के बहाव में
एक पेड़ खड़ा था,
जैसे कुरुक्षेत्र की भूमि पर
अपने नातेदारों से
अभिमन्यु लड़ा था |
विपरीत परिस्तिथियों से
धारा के प्रचंड प्रवाह से
किंचित न डरा था,
घोंसले में बैठे चंद
पंछियों को बारिश से
वो अकेला आसरा था |
विपत्तियों की बाढ़ में
टूट कर बिखरा नहीं
अपितु अधिक हरा था,
अगले साल मैंने देखा
सावन के महीने में फ़िर
वो पेड़, वहीं खड़ा था ||
नवंबर 26, 2022
कुछ तो कहते हैं ये पत्ते
बरखा की बूंदों सरीख,
बयार में जब ये बहते,
कल डाली से बंधे थे,
आज कूड़े के ढेर में रहते |
पतझड़ की हवाओं में,
बसंत का एहसास बनते,
कोंपल रूप में फिर आयेंगे,
नवारम्भ की गाथा कहते ||
नवंबर 20, 2022
जीवनमंत्र
हँसते रहने की खातिर ही मैं यह जीवन जीता हूँ,
ज़िंदा रहने की खातिर ही थोड़ा-थोड़ा हँसता हूँ ||
नवंबर 14, 2022
जब हम छोटे बच्चे थे
जब हम छोटे बच्चे थे,
मम्मी-मम्मी करते थे,
साईकल पर निकलते थे,
अक्सर झगड़ा करते थे,
थोड़ा-थोड़ा पढ़ते थे,
अधिक शरारत करते थे,
पापा से बड़ा डरते थे,
तितली पकड़ा करते थे,
बिन पंखों के उड़ते थे,
जब हम छोटे बच्चे थे ||
नवंबर 03, 2022
माँ
आज मेरी माँ को गए हुए 10 साल हो गए | उनको अर्पित एक छोटी सी श्रद्धांजलि |
बरसों हो गए आँचल में तेरे सर को छुपाए ओ माँ,
पलकों पर मुझको, रखा हमेशा, तुझ जैसा कोई कहाँ,
जाने कहाँ गुम हो गई अचानक, सूना बिन तेरे जहाँ,
सपनों में अपने, ढूँढूं मैं तुझको, यादों में ज़िंदा तू माँ ||
अक्टूबर 24, 2022
बचपन वाली दीवाली
वो चढ़-चढ़कर घर से सारे जालों को मिटाना,
वो पंखों की, कोनों-कोनों की धूल को हटाना,
वो आँगन में नाना रंगों से रंगोली सजाना,
वो दीवारों-दरवाज़ों पर रंग-रोगन कराना,
बाज़ारों से धनतेरस पर नया बर्तन ले आना,
वो मिठाई वो बताशे वो खील वो खिलौना,
वो छत पर रंगीन बल्बों की लड़ियाँ लगाना,
वो मोमबत्ती और दीपों से पूरे घर को सजाना,
वो नए-नए कपड़ों में पूजा कर प्रसाद चढ़ाना,
वो पटाखों की थैली के संग बाहर भाग जाना,
वो फुलझड़ी वो अनार वो रॉकेट वो चरखरी,
वो आलू बम, वो फूँक बम, वो मुर्गे की लड़ी,
खुशियों से भरपूर थी बचपन की हर दीवाली,
आओ मनाएँ फ़िर से वो ही बचपन वाली दीवाली ||
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